बुधवार, 27 अप्रैल 2011

अब तुम जो नहीं आते

                आजकल टुटा फूटा सा हु
                सपने भी अधूरे है
                कही वक़्त से सपना भी  नहीं आता     
                अब तुम जो नहीं आते 


           
                सासे सहारा की रेत सी बिखरी  बिखरी  है 
                आँखों मै कांटे  चुभने लगे है 
                जहा कभी तेरा चेहरा हुआ करता था 
               ना वो मोसम  ना सर्दी की राते 
                अब तुम जो नहीं आते अब तो 
                 खवाब भी नहीं आते             


               गर्मियों की दोहपर मै तुमे ख़त  लिखा करती थी
                अब नहीं लिख पाती उंगलिया 
                 तुमने जो मना किया था  
                     क्या तुमे याद है    
            
           लबो पर नाम भी नहीं अब तो  तुमने 
          ही कहा था  जिक्र ना करना  कभी 
           ना कुछ सालो से डाकिये की आवाज़ आयी
                    ना तेरा कोई ख़त आया 
             सब टुटा टुटा  सा है खवाब 
                     बिखरे बिखरे से ............ 

           खुद को बिखरने से न रोक पायी  
          जिन्दगी तो टूटे मोतियों की माला हो गयी 

   फिर भी तुम्हरी हर बात को संभाल रखा है  याद है वो फ़ॉर्क जिस पर तुमने 
   बर्फ का गोटा गिराया था  वो तुमारी आधी खायी  चोकलेट  आज  भी संभाली रखी
 है तुम्हारे दिए वो रंग सुख से गए है और खुशिया भी .........................................
        अब तुम जो नहीं आते 

रविवार, 24 अप्रैल 2011

come back my honey

dont  go ..plz   i mis  u                                       honeywithpoem
 Avery morning  i want see you i want open my eyes with  you are lovely voice with milky smile 
     
i miss you all of day  when i see sky  i feel  u watch me with u r  dark blue  eyes  i miss u my baby

 u know when u see me first time you really make my heart beat feast .but now why u make me crying child

every day i want sleeping  in you arms  live in your heart  nobody  can make me happy without  you

      plz............comeback..................................comeback my  honey ................sweet heart comeback

every nights  my eyes full of with tears in you are sweet memories   i want try to forget you but it not

possible for me  come back honey  come back i still missing you   oh dear honey  oh honey  oh honey

i have great hope one day you come back in my life  with full of joy and feeling i am waiting  honey 

plz come and make me happy and caught me in  you are arms  my lips is waiting  ............................................................................................... i m still waiting for you plz come back

come back my honey

 Avery morning  i want see you i want open my eyes with  you are lovely voice with milky smile 
     
i miss you all of day  when i see sky  i feel  u watch me with u r  dark blue  eyes  i miss u my baby

 u know when u see me first time you really make my heart beat feast .but now why u make me crying child

every day i want sleeping  in you arms  live in your heart  nobody  can make me happy without  you

      plz............comeback..................................comeback my  honey ................sweet heart comeback

every nights  my eyes full of with tears in you are sweet memories   i want try to forget you but it not

possible for me  come back honey  come back i still missing you   oh dear honey  oh honey  oh honey

i have great hope one day you come back in my life  with full of joy and feeling i am waiting  honey 

plz come and make me happy and caught me in  you are arms  my lips is waiting  ............................................................................................... i m still waiting for you plz come back

शुक्रवार, 22 अप्रैल 2011

समाज का सिनेमा the reall story of indian social

honeywithpoem.blogspot.com
समाज शब्द  सुनने मै जितना सुन्दर है यथ्रात के धरातल  पर  उतना ही  भयानक    मेरे एक अद्यापक कहा करते थे की समाज चन्द गुंडे लोगो का समहू है जो लोगो को छलता   रहता  है   अगर आजाद होना है तो  हमें समाज से आजाद होना चहिये समाज नाम का ये  भयानक किरदार इंसान की जिन्दगी का सब से बड़ा खलनायक है  ये प्रेम चोपरा की तरह  पुरे के पुरे व्यक्ति की डकार मार कर अमरीश पूरी की तरह खुश होता  है
समाज तो शक्ति कपूर जेसा है  कोई भी लड़की नज़र आई तो उसे गुरना शरू (आहू ..आहू.)  ( नज़र रखना शरू)   
समाज तो ३ इन वन खलनायक है और तो आश्चर्ये की बात है की जिन्दगी के सिनेमा मै खलनायक के खिलाफ कोई नायक खड़ा ही  नहीं हो पाता ( ये पहला  सिनेमा है जाह पर  नायक की हार होती है )  खड़े होने से पहले ही  समाज के लम्बे लम्बे ताने नायक को जिन्दा ही  दफ़न कर देते है   जिन्दगी के सिनेमा मै कही प्रेम  कहानीया बनती है  रोज कई लैला मजनू  मरते है कही आशिक  कतल होते है  तो किसी  का प्यार  सांस  भी नहीं ले पाता  है
 पर यहाँ  समाज का राज है  यहाँ  वही चलेगा जो समाज चाएगा इस फिल्म (सिनेमा) मै एक ही डायलोग है अरे समाज क्या कहेगा  कुछ तो समाज की सोच  इधर न सन्नी  पाजी का ढाई किलो का हाथ काम आता  है  न कुछ  समाज  तो पुरानी हिंदी  (फिल्मो ) सिनेमा का  ठाकुर  होता है जो केवल गरीबो का खून चूसा करता था और समाज रूपी  ठाकुर केवल माद्यम वर्ग को छलता है समाज  का जहर तो होता हे माद्यम वर्ग के लिए है  ग़रीब अगर समाज के खिलाफ कुछ करे तो   कहा  जाता है  गरीब है  ऐसी हरकत तो करंगे हे वरना बेचारे जायेंगे कहा और अमीर करे तो नयी फैशन मरता तो मिद्दल क्लास है   सम्माज के फूटे ढोल को मिद्दल  क्लास इंसान दोनों और से जोरो से बजा बजा कर अपनी जुटी ख़ुशी का दिखावा कर रहा है         समाज  तो एक लुटेरा है   

बुधवार, 13 अप्रैल 2011

फिर आया ये वसंत

फिर आया  ये वसंत सूखे पतों के साथ

कभी यहाँ गिरते 

    कभी वहा गिरते 

उसकी जुल्फों से लहराते पते      

   कभी सर्सरहात  का अहश्हाश देते वसंत के  पते 

जेसे वो दोड़कर सीने से लगता था  जम कर बाहों मै लेता था
             
आज सीने से टकराते पते 

महबूब  की खुसबू  देती वसंत की हवा

उसके पास आने का    अहश्हाश दिलाती हवा

फिर आया वसंत ले कर उसकी यादे  




मंगलवार, 12 अप्रैल 2011

अश्क

आज शाम डलते डलते कोई ४ बजे होगे और आज  आसमान की आँखों मै भी नशा  नजर आ रहा है
   जेसे पूरी रात सोया न हो आँखे भारी सी है 
कुछ अश्क की बुँदे  इशक के धरातल पर टपकने को आतुर सी नज़र आती है 
आकाश की छवि धरातल के अक्ष से आज बड़ी धुंधली सी नज़र आ रही है
 जेसे कोई पुरानी तस्वीर याद आ रही हो उसके साथ गुजरा ज़माना याद आ रहा हो  आँखों  के 
सामने सब दुन्ध्ला सा है लगता है  आसमा के आशु   निकल आयेंगे इतनी बड़ी गहरी आखो मै 
कब तक तेर पायेंगे  दूर पाहडी  पर तहरा आकश एसा नज़र आता है जेसे अभी रो देगा 
न जाने क्यों आज आकश इतना प्यारा और दर्द का सागर लगता है दिल मै तड़प उठती है की इसे बाहों मै 
ले कर जी भर कर रो ले आसमा के  के साथ अपने अश्क  खो दे    

सोमवार, 11 अप्रैल 2011

आज फिर वसंत लौट आया है


 आज फिर वसंत लौट आया है तेज हवा चुभती धुप के साथ
पेड़ो से पते पक कर गिरने लगे है आम पीपल नीम पलाश गुलमोहर  
से गिरते पतों को देखकर कहता हु की काश...........................
   जो दुखो का सैलाब मुजशे जुड़ा है वो भी अब तो पक चूका है.
काश ये दर्द का सैलाब भी इन सूखे पतों की तरह  मेरे जिस्म ऐ (रूह)
का साथ छोड़ दे.                       ........................................................................................................................................................     सुहानी लगती है वसंत की चांदनी  राते हलके
होकर चमकते पेड़ सुख के सागर मै गोत्ते लगाते ये पेड़ बड़े सुन्धर मालूम होते है
चमकते पेड़ इन चांदनी रातो मै जानत का नज़ारा देते है  जेसे श्री कृष्ण ने यही राश रचा हो 
 चांदनी रात मै बांशुरी बजाई हो  हो समधुर सुर है सारा का सारा वातावरण जेसे ख़ुशी  के
 फाग मै रंगा हो  सबने अपने दुखो को त्याग कर जिस्म ऐ रूह को हल्का कर लिया  काश वसंत की चांदनी रात मै गिरते पतों की तरहे मेरा भी दर्द सदा  सदा की लिए कृष्ण की सुमधुर बांशुरी  मै खो जाये  गिरते पतों मै ये दर्द भी गिर जाए 


शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

love latter

i love you  you are god for me avey breath i rember u again and again  plz naver let go
मेरी  sajni ......                                                                                                                                            इस बसंत मै न जाने क्यों बार बार दिल से एक अव्वाज उठती है की हर लम्हा तेरे   आगोश मै गुजार दू                  एक चांदनी रात  तेरे साथ बाते करते गुजार दू                                                                                                 हर लम्हा तेरे सजदे मै गुज्जरने की चाहत रकता  हु        तेरी खुबसूरत बेलोरी सिषे  से  आँखों मै  खुद का उजल्ला सा चेअर दखने की चाहत  बेहताशा बढती जा रही है हर रात चाँद को देखकर कुछ  गुनगुनाता रहता हु      पर अचानक से रुक जाता  हु  जब तुम मुजशे नाराज होती हो तो लगता है    ये रात मुझे काटने को आयेगी  चाँद से भी नफ़रत होती है ये    तो तेरी मोहबत  है जोचाँद  को देखने पर मजबूर  कर देती है   , जान  तुमारे साथ इतने रिश्तो को आयाम दे चूका हु  की उनके टूटने के दर से हे सिहर जाता हु  कल रात सपने मै तुमै नाराज होते देखा था और तुम मुझे छोड़ कर किसी महल की और चली जा रही हो   मेरी हर अव्वाज को नकारते   हुए   इस  एक पल के सपने  ने आँखों की सारी नीद उदा  daali  आज जान तुम मुजशे नाराज भी हो न जाने क्यों डर  है  कई तुम मुझे    अकेला छोड़ कर न चली जाओ तुमै खोने का डर मौत के डर से भी जायदा हो गया है लिखते लिखते मेरे हाथ भी कापने लगे है  ये लिखे हुए सबध तुम पढ़ पाओगे या नहीं वेसे भी तो तुमे मेरी (हस्त लेकन .)   बड़ी बेकार लगती है और तुमारा फरमान था की रोज कुछ पेज  नक़ल रोज किया करू  उसे करता  भी हु  पर कभी कभी                                                                                                                                                    तुमे ये बाते मेरे दिल की आवारगी  लगे  पर ये हकीकत का तराना  है