सोमवार, 17 जनवरी 2011
नज़रे फरेब नज़रे फरेब
nazre unke chehre ko dekhne ki lakho raste nikal leti. pato ke bich gujarti parkash ki kiran kee sahare ek pal ke didaar dund leti hai
Wo PiYar tha या था नज़रे फरेब जो तुने किया था क्या था दिल्लगी या दिल का दर्द जख्म देने kइ चाहा या जान लेने की खाविश नज़रे फरेब या नज़रे कतल क्या कहू बेदर्द सनम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तेरा फरेब तेरी नज़र क्या था ये ?
Wo PiYar tha या था नज़रे फरेब जो तुने किया था क्या था दिल्लगी या दिल का दर्द जख्म देने kइ चाहा या जान लेने की खाविश नज़रे फरेब या नज़रे कतल क्या कहू बेदर्द सनम ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, तेरा फरेब तेरी नज़र क्या था ये ?
रविवार, 16 जनवरी 2011
शनिवार, 1 जनवरी 2011
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