शनिवार, 21 मई 2011

पढ़ लिख गए तो कमाने निकल गए

घर लौटने मे जमाने निकल गए   
पढ़ लिख गए तो कमाने निकल गए 

घर लौटने मे जमाने निकल गए                       

अब ये केवल किसी ग़ज़ल की पंक्तिया  न होकर जिन्दगी की  हकीकत हो गयी 

हर दिल मे इस बात की  टीस रह  गयी

घिर आई शाम हम भी चले अपने घर  की और 

पंछी भी अपने ठिकाने  निकल गए 

अब तो हम भी अपने गरोंदो  के लिए चल दिए मगर अब तो देर हो चुकी थी 

जब घर को लौटे तो जमाने निकल गए 

बरसात गुजरी सरसों के  मुरजा गए फूल
उनसे मिलने के सारे रास्ते गए भूल 

   कुछ के चहरे अब भी है याद कुछ हम को गए भूल 

   पहले तो हम बुज़ाते  रहे अपने घर की आग 
    फिर बस्तियों मे आग लगाने निकल गए   
    
   खुद मछलिया पुकार रही है कहा है जाल 
   तिरो की आरजू मे निशाने निकल गए 

   किन  शाएलो  पे नीद की परिया उतर आई 
    किन जंगलो मे ख्वाब सुहाने निकल गए 

  हनी , हमारी आँखों का आया उसे ख़याल 
  जब सारे मोतियों के खजाने निकल गए              
     
    हालत यही थे हमारी जिन्दगी के पढ़ लिख गए तो कमाने निकल गये 
       लौटने मे घर को जमाने निकल गए  लौटे थे घर को तो चुलो मे राख
       और खली बर्तन रह गए थे कुछ धुंदली यादे और चहरे पे अश्क रह गए थे 
       उनकी गलिया भी सुनी थी जहा कभी  महफ़िल हुआ करती थी  
                 कभी इस घर मै माँ की हसी गूंजा करती थी 
                 अब तो बस खुद से बतियाती दीवारे रह गयी 
     
 जब सारे मोतियों के खजाने निकल गए 
           आती थी वो कुए पर तो नज़र बचा कर हम से मुस्कराया करती थी अब तो 
             अब तो चेहरा  देखे  जमाने ===================     गुज़र गए 
          
              घर लौटने मै जमाने निकल गए   देखे अपनों को  अब तो जमाने निकल गए 
               घर लौट अब तो जमाने निकल गए ===========================


                घर लौटे अब जमाने निकल गए ============================================

i love u baby






aaj apni baalkni mai khda nzar uthata hu

aaj aasmaaan ke saamraajaye par  akele chaand ka adhikaar hai

koi taara nahi baadal nahi aasma  mai chaai dhul thandi hawao ki 

lahre ek manmohak gandh ke sath be rahi hai chaand pure srur mai 
 
chaandni ke aagosh mai mai saare jaha ko samet ja raha hai 

mano ishak ki aandhi aayi ho

or niche jamin par khali suni sadko par kuch kagzo ke udne ki sarsaraht  bhari

aawaaze pili roshni wali lamp post ki batch  par koi baitha hai 

20 saal ki koi yuvati or humumra ka yuvak sayad koi premi joda raha  hoga esi raato mai ya to diwaane nzar aate hai ya paagal 

dono chaandni ke aagosh mai khud ko ek dusre k prem mai samrpit kiye ja rahe the