सोमवार, 6 दिसंबर 2010

ek raat mere naam kar de

aaj ki ye raat mere naam kar de mai to lut chuka hu tuje dekhkar aaj ek nazar k jadu se muje malamal kar de ek nazar kar muj par or ye hasin rat mere nam kar de aaj fir beasar kar mujeteri panaho mai fana kar de ek rat mere namkar de

रविवार, 5 दिसंबर 2010

लहरें: वो सिगरेट

लहरें: वो सिगरेट: "कल सुबह १० बजे के पहले मुझे अपने एडिटर को एक आर्टिकल मेल करनी है...रात के ९ बजे रहे हैं और दिमाग कोरा कागज बना हुआ है...सारे शब्द जाने कहाँ ..."वो सिगरेट
कल सुबह १० बजे के पहले मुझे अपने एडिटर को एक आर्टिकल मेल करनी है...रात के ९ बजे रहे हैं और दिमाग कोरा कागज बना हुआ है...सारे शब्द जाने कहाँ चले गए हैं, भला ये भी कोई तफरीह करने का वक्त है। रोज आफिस में डरावने मेल आते हैं, ५० लोगो की कटौती होने वाली है, प्रोफिट नहीं हो रहा कंपनी को, बोनस तो छोड़ो इस मुश्किल वक्त में नौकरी बच जाए यही गनीमत होगी। और इस नौकरी के लिए जरूरी था कि मैं एक तडकता भड़कता सा आर्टिकल लिख के मेल करूँ, कि एडिटर देखते ही खुश हो जाए कि भाई मैगजीन मेरे ही कारण बिकती है। पर क्या लिखूं...

इतने में दरवाजे पर दस्तक होती है, अब इतनी रात को कौन आ गया दिमाग खाने, मैं मन ही मन भुनभुनाता हुआ उठा। दरवाजा खोला तो सामने तन्वी खड़ी थी, मेरी स्कूल की दोस्त...मुझे लगा ज्यादा काम के कारण मेरे दिमाग में शोर्ट शर्किट हो गया है...८ साल बाद ये तन्वी कहाँ से टपक पड़ी। "अबे...मैं कोई दरबान नज़र आती हूँ जो तेरे घर के गेट पर पहरा दूंगी...रास्ता दे ढक्कन।" और वो मुझे लगभग धकेलती हुयी घर में चली आई...अगर कोई शक था भी तो उसकी आवाज और टोन से दूर हो गया। मुझे इस तरह से बिना किसी संबोधन के तन्वी के सिवा कोई बात नहीं कर सकता था।

"तन्वी, ये आसमान किधर से फटा और तू किधर से टपकी...मोटी!! मेरा पता कहाँ से मिला !!??", मैं चकित था, उसके ऐसे बिना बताये आने पर। "इंटरपोल, एफ्बीअई...हर जगह तो तू है न, मोस्ट वांटेड लिस्ट पर...तो बस ढूंढ लिया, यार तू भी हद्द करता है, itte से banglore me तेरा पता ढूंढ़ना कोई मुश्किल बात है क्या। इतने सालों बाद आई हूँ तुझसे मिलने और तू खुश होने की बजाई जिरह कर रहा है, पुलिसवाला हो गया है kya?" दन्न से गोली की तरह जवाब आया...बाप रे वो बचपन से ऐसे ही बोलती थी, बिना कौमा फुलस्टॉप के हमने तो उसका नाम ही टेप रिकॉर्डर रख दिया था। " नहीं, मेरी माँ मैं तो ऐसे ही पूछ रहा था, तेरे जैसी महान आत्मा के लिए कुछ भी पता करना बड़ी बात थोड़े है."

और अब पूछताछ करने की बारी उसकी थी, इसके पहले की मैं रोकता वो पूरे घर का मुआयना करने चल पड़ी थी..."यार ये इतना साफ़ सुथरा घर तेरा तो नहीं हो सकता, girlfrind है क्या?"।"हाँ, है...५० साल की अम्मा है, सारी सफाई उन्ही की देन है, खाना भी बना के खिलाती है...वैसे उम्र थोडी ज्यादा है पर तू कहेगी तो मैं शादी कर लूँगा उससे. तेरे लिए कुछ भी यार".वो जहाँ थी उसके हाथ में जो पकड़ आया खींच के मारा था उसने, वो तो गनीमत है कि रबड़ बॉल था, वरना तो मेरा सर गया था.

किचन में बियर कैन का अम्बार लगा हुआ था, " छि छि बुबाई तू दारू पीने लगा है, सोच आंटी को पता चला तो क्या होगा?". वो आफत की पुड़िया अब कमरे में आ चुकी थी वापस इंस्पेक्शन ख़त्म हो गया था. " ऐ तन्वी तुझे कितनी बार कहा मुझे ये बुबाई बाबी मत बुलाया कर , तू सुधरेगी नहीं...और मम्मी को बोलने कि सोचना मत..वरना..."
"ओहो धमकी...क्या कर लेगा रे, जा मैं बोल दूंगी...अभी फ़ोन लगाउँ क्या?"
"ना रे मेरे पिछले जनम की दुश्मन, मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है. पूरे हफ्ते मेहनत करके थोड़े बहुत पैसे कमाता हूँ, अगर बियर में डाल के पी जाऊ तो तेरे पेट में क्यों दर्द हो रहा है. जिस दिन तेरे बैंक अकाउंट से पैसे गायब करूँ उस दिन मम्मी को बोल देना, मैं भी कुछ नहीं करूँगा.२५ साल का हो गया हूँ, मेरे देश का संविधान मुझे यह अधिकार देता है कि मैं जिस ब्रांड की अफोर्ड कर सकता हूँ, दारू पियूं, और तू क्या प्राइम मिनिस्टर है। मम्मी न हुयी विपक्ष की नेता हो गई. और तू मेरे साइड में है कि उसकी?"

"नील, एक सीरियस प्रॉब्लम है"...मुझे लगता है उसने शायद जिंदगी में पहली बार मेरा नाम लिया था...उसके पहले तो मैं हमेशा ढक्कन और गधा और उल्लू और जाने क्या क्या था उसके लिए...नहीं तो मेरे घर ने नाम बुबाई से हमेशा चिढ़ाते रहती थी. थोड़ा परेशां हो गया...तन्वी ऐसे लड़की नहीं है जिसे कोई परेशानी हो और वो इस तरह गम होकर बोले."क्या प्रॉब्लम है यार, तू बोल, मैं हूँ ना""यार तू घिसे हुए डायलॉग बहुत मारता है, मेरी जिंदगी में तुझसे बड़ी प्रॉब्लम भी भला आई है कभी...बड़ा आया मैं हूँ न, हुंह. खैर, प्रॉब्लम ये है कि मुझे भूख लगी है."
"ओफ्फो भुक्खड़..रात के बारह बजे भूख लगी है, जब ९ बजे मेरे घर आ रही थी तो खा के नहीं आ सकती थी...किचन में मैगी है, ख़ुद बनाएगी कि मैं बनाऊं?"
"बाप रे कंजूस मक्खीचूस...मैं नहीं जा रही मैगी खाने...मुझे पिज्जा खाना है. और पैसे भी तू ही दे, आख़िर तू लड़का है और मैं तेरी बचपन की दोस्त हूँ, और उम्र से तुझसे तीन महीने छोटी भी हूँ...और हाँ मैं अपने हिस्से के पैसे भी नहीं दूंगी".
"नहीं मांगूंगा, अम्मा...मेरी मजाल मैं तेरे से पैसे मांगूं...बोल कौन सा पिज्जा खायेगी..."
और इसके बाद हम आराम से पिज्जा खा रहे थे। भला हो होम डिलिवरी वालों का, बेचारे २४ घंटे हम जैसे लोगो की जान बचाते फिरते हैं।
उसने पॉकेट से सिगरेट का एक पैकेट निकला...मार्लबोरो माइल्ड्स. "सुट्टा?"मैं जैसे आसमान से गिरा..."तन्वी, तू lung कैंसर से मारेगी, पागल हो गई है क्या, ये सिगरेट कब से शुरू कर दी, मुझे बताया तक नहीं...""लेक्चर मत झाड़...सुट्टा मरना है...नहीं मारना है? और तुझे कैसे पता मैं कैसे मरूंगी...तेरे सपने में आके यमराज ने भविष्यवाणी की है...मैं सुट्टा मारना छोड़ दूँ तो नहीं मरूंगी...साला फट्टू."
अब इसपर कोई क्या कह सकता है, तो मैंने भी कुछ नहीं कहा, चुप चाप हाथ बढ़ा के सिगरेट ली, और बेद के नीचे से ऐशट्रे निकाल के आगे कर दी.
उसने एक गहरा कश ले कर कहा "और तू क्या जानता है मरना क्या होता है...एक फ्लैश और ख़त्म, पता भी नहीं चलता कि मर गए हैं."
"हाँ हाँ मरने पर भी तुने Ph. D की है, भटकती आत्मा, यमराज का इंटरव्यू लिया है तुने, जानता नहीं हूँ तेरे को. फ़िर से कविता का भूत चढ़ने वाला है तुझपर, और मेरे पास भागने की कोई जगह भी नहीं है. मुझे बख्श दे मेरी माँ. एक राउंड नहीं हो पायेगा आज."
"तथास्तु...और कुछ मांग ले बच्चा, हम तेरी प्रार्थना से प्रसन्न हुए।" उसका अंदाज़ वाकई सबसे जुदा था।आज शायद इतने सालों में मैं उसे पहली बार ध्यान से देखा था, शायद इसलिए क्योंकि बहुत दिन हो भी गए थे। वो काफ़ी खूबसूरत लग रही थी।"क्या हुआ?""तू हमेशा से इतनी सुंदर थी क्या?""नहीं, मैंने फेस इम्प्लांट कराया है...ऐश्वर्या कि आँखें, प्रीती के डिम्पल...माधुरी की स्माइल...ओफ्फ्फो लाइन मार रहा है मुझपर, अभी एक कराटे चॉप पड़ेगा न, तीन जनम तक याद रहेगा""तू सीधी तरह से किसी बात का जवाब नहीं देती क्या...दो बात प्यार कि बोल लेगी तो क्या पैसे लगेंगे। मैं गुस्सा हो रहा था उसपर" और वो ठठा के हंस पड़ी..."सीधी बात, तुझसे...तू मुझे प्रभु चावला समझता है क्या...यार इतना नहीं हो पायेगा।"

"चल छोड़, क्या चल रहा है लाइफ में?""बस यार ताज में फैशन शो है, ब्राइड्स ऑफ़ इंडिया पर, तो थोड़ा बिजी हूँ. वरना तो वही..महीनों बस प्लान चलता रहता है. थोड़ा बहुत लिख लेती हूँ कभी कभी. बस, तू बता?""मेरा भी कुछ खास नहीं, रोज़ की एडिटर से खिच खिच, पिछले महीने एक लम्बा फीचर लिखा था, काफ़ी तारीफ़ आई थी...आजकल कोस्ट कटिंग में बोनस मार लिया सालों ने. अगले हफ्ते घर जा रहा हूँ. बहुत दिन हो गए."

थोडी देर की खामोशी...जिंदगी के बारे में बात करो तो अक्सर ऐसा हो जाता है. एक पर एक सिगरेट जलती रही बस आखिरी सिगरेट बची थी."जानता है आखिरी सिगरेट किसी से बाँट रहे हैं तो वो कोई बहुत करीबी होता है..."और बस जैसे आई थी एक झटके में उठ खड़ी हुयी...हम चलने लगे. एक खामोशी, जिसमें शब्द नहीं होते बस, बाकी बातें होती रहती हैं.

लिफ्ट का दरवाजा जैसे ही बंद हो रहा था, उसने रोका...और मेरी आंखों में कहीं गहरे देखते हुए कहा"जानते हो नील...जिंदगी भर मैं तुमसे एक बात नहीं कह पायी...i love you".
वापस आ के कमरे में बैठा ही था कि फ़ोन बज गया, उधर से मम्मी बोल रही थी..."बुबाई, तन्वी...तन्वी नहीं रही बेटा। अभी अभी उसकी मम्मी का फ़ोन आया था. आज शाम मुंबई में उसका सीरियस एक्सीडेंट हो गया ...स्पौट डेथ। तुम जल्दी वहां पहुँचो."

aaj socha us se kuch baat kar lu

aaj raat sote sote ke khayaal aaya ki kyu na aaj us se baat kar lu kar lu raat ki tanhahi mai dil ka haal baya kar lu ,jab waqt dekha to 1.30 am ho rahe the saari himat laga kar call list mai se usjka naam nikala or socha ki call kare par dar tha ki unki need na kharab ho jaye ,fir chupchaap dil ko bahalaane ke liye ek sms kar diya ki agar wo bhi hammari trahe jag rahi hogi to jawab mil jaayeg hum jaante the ki wo so gayi ho gayi fir bhi na jane dil kis intajaar mai 3.30 am tak jaagta raha fir na jaane kab palko par hasin sapno ki mithi raat aa gayi subhe maa ki chay ki aaawj ke sath need khuli .umeed ke sath humane mobile dekha ki kahi koi reply to nahi aaya ,,,fir uski yaad mai esa kho gaye ki pata he nahi chala ki chay miti bhi thi ya nahi pure din uske msg ka intjaar karte rahe sham ko sandesh mila ki wo to kisi or ke hato par rang lagaane gayi hai means meahndi ya to dil uski yaado mai berang tha or wo kahi or oro ki kisamat mai rang saza rahe the,,,,,,,,,,

शनिवार, 4 दिसंबर 2010

alsaai subhae ................happy sunday................................

sunday ki alssayi subhe jese gaalib ke momin ke kyaalo ki subhe ,,,,,,,, sunday ki subhe to esi hoti hai na koi chint na koi fikr har kam susti se hota hai ye sunday hafte mai 2 baar kyu nahi aata

लहरें: बरहाल जिन्दा रहता हूँ

लहरें: बरहाल जिन्दा रहता हूँ: "सूनी घाटी पर्वत पर्वत दरिया सा भटका करता हूँ किसी मुहाने पल भर रुक कर जाने ख़ुद से क्या कहता हूँ तुमसे जुदा कैसे हो जाऊं मैं तुम में तुम स..." its not mine its 4 m other blog plz chek it