बुधवार, 13 अप्रैल 2011

फिर आया ये वसंत

फिर आया  ये वसंत सूखे पतों के साथ

कभी यहाँ गिरते 

    कभी वहा गिरते 

उसकी जुल्फों से लहराते पते      

   कभी सर्सरहात  का अहश्हाश देते वसंत के  पते 

जेसे वो दोड़कर सीने से लगता था  जम कर बाहों मै लेता था
             
आज सीने से टकराते पते 

महबूब  की खुसबू  देती वसंत की हवा

उसके पास आने का    अहश्हाश दिलाती हवा

फिर आया वसंत ले कर उसकी यादे  




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