फिर आया ये वसंत सूखे पतों के साथ
कभी यहाँ गिरते
कभी वहा गिरते
उसकी जुल्फों से लहराते पते
कभी सर्सरहात का अहश्हाश देते वसंत के पते
जेसे वो दोड़कर सीने से लगता था जम कर बाहों मै लेता था
आज सीने से टकराते पते
महबूब की खुसबू देती वसंत की हवाए
उसके पास आने का अहश्हाश दिलाती हवाए
फिर आया वसंत ले कर उसकी यादे
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